रीतेश पुरोहित
14 feb/ नई दिल्ली ।। लंबे समय से उपेक्षा झेल रहे दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स ने संजीवनी का काम किया है और इसके नतीजे अब दिखने लगे हैं। इन स्मारकों का वैभव लौटने लगा है। साउथ दिल्ली के शाहपुर जाट इलाके में ऐतिहासिक सीरी फोर्ट और इसके एकदम नजदीक बनी मोहम्मदीवाली मस्जिद को देखें, तो यह बात सच साबित हो जाती है। आकिर्यॉलजिकल सवेर् ऑफ इंडिया (एएसआई) ने केमिकल क्लीनिंग के जरिए इस ऐतिहासिक स्मारक की गुम हो चुकी चमक को वापस ला दिया है।
एएसआई की दिल्ली सर्कल के सुपरिंटेंडेंट आर्किलॉजिस्ट के. के. मोहम्मद ने बताया कि केमिकल क्लीनिंग के जरिए इस मस्जिद को पूरी तरह साफ किया गया है। धूल, मिट्टी व गंदगी जमने से इस पर बनीं खूबसूरत डिजाइनें और इबारत दिखनी बंद हो गई थीं। केमिकल क्लीनिंग से यह साफ-साफ नजर आने लगी हैं। अब इस स्मारक में पनिंग (चूने को लंबे समय तक गलाए रखना और फिर इस्तेमाल करना) का काम बाकी है। इसके बाद पूरे एरिया का सौंदयीर्करण किया जाएगा। इस मस्जिद के कन्जवेर्शन में 17.5 लाख रुपये खर्च होंगे। हमने दिसंबर में यहां काम शुरू किया था। 70 पसेंट काम हो गया है और एक-दो महीनों में इसके पूरा हो जाने की उम्मीद है।
एएसआई के साइंस डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने बताया इस स्मारक की क्लीनिंग के लिए अमोनिया के लिक्विड का यूज किया जाता है। इससे इमारत पर जमी गंदगी और कालापन निकल जाता है। बाद में इसमें प्रिजरवेटिव का यूज किया जाता है, जो बरसात के पानी को दीवारों के अंदर जाने से रोकता है। कई बार जरूरत के मुताबिक इनमें मुलतानी मिट्टी का लेप लगाया जाता है। इस मिट्टी से किसी हेरिटेज इमारत में चमक आ जाती है।
कन्जवेर्शन वर्क से पहले लोदी काल की यह ऐतिहासिक मस्जिद खंडहर में बदल गई थी। पूरी इमारत पर या तो छोटे-छोटे पौधे उग आए थे या काई जम गई थी। कुछ हिस्सा टूट भी गया था। हालांकि कुछ साल पहले एएसआई ने ही यहां कन्जवेर्शन का काम कराया, लेकिन इसमें चूने के बजाय सीमेंट का इस्तेमाल हुआ, जबकि किसी भी ऐतिहासिक इमारत की मरम्मत के लिए चूना व मोरम का ही इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि सैकड़ों साल पहले ये इमारतें इसी मटीरियल से बनाई जाती थीं। एएसआई के अधिकारी इस बात को मानते हैं। उनका कहना है कि अब हम इस सीमेंट को भी हटा देंगे। उनका कहना है कि इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए हमें आज तक इतना बजट नहीं मिला।
लोदी काल की इस इमारत के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अलाउद्दीन खिलजी के जमाने में बनी ऐतिहासिक सिरी वॉल और यह मस्जिद कॉमनवेल्थ गेम्स के एक मुख्य वेन्यू सिरी फोर्ट स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स के एकदम नजदीक है। गेम्स के दौरान यहां स्कवैश और बैडमिंटन की प्रतियोगिताएं होंगी। ऐसे में खिलाड़ियों के अलावा हजारों टूरिस्ट भी यहां आएंगे और उम्मीद है कि वे इन ऐतिहासिक इमारतों को भी देखने आएंगे। उन्हें ये स्मारक खराब स्थिति में दिखेंगे, तो देश की बड़ी किरकिरी होगी। इसी वजह से इन दोनों को ही कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुने गए 46 स्मारकों की लिस्ट में शामिल किया गया है।
Tuesday, February 23, 2010
लाल किले का वर्ल्ड हेरिटेज दर्जा खतरे में!
नई दिल्ली/16 dec. 2009।। रीतेश पुरोहित
लाल किले की खूबसूरती में चार-चांद लगाने की कोशिश कर रहे आर्कियॉलजिक सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की कोशिशों को गहरा झटका लगा है। एमसीडी ने लाल किले की बाउंड्री वॉल बनाने और फेन्सिंग के काम को रोक दिया है। इससे यह जगह फिर गंदगी और अतिक्रमण का शिकार होती जा रही है। हेरिटेज एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर लाल किले के सामने इसी तरह की बदहाली रहती है, तो उसका वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी खतरे में पड़ सकता है।
असल में एएसआई ने लाल किले के वर्ल्ड हेरिटेज साइट के दजेर् को ध्यान में रखते हुए एक कॉम्प्रिहेंसिव कंजर्वेशन मैनेजमेंट प्लान (सीसीएमपी) तैयार किया था। इसके तहत इस मुगल कालीन ऐतिहासिक धरोहर के बाहर बाउंड्री वॉल बनाने के अलावा इस इलाके के सौंदर्यीकरण की भी योजना थी। पहले यहां बसों की टिकट बेचने के लिए करीब 14 कियोस्क लगे हुए थे। इसी फुटपाथ पर दुकानें भी लगाई जाती थीं। एएसआई ने इन कियोस्क को हटाने और अतिक्रमण खत्म करने के लिए एमसीडी को पत्र लिखा था। एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ये कियोस्क और इनके आसपास फैली गंदगी से न सिर्फ लाल किले की खूबसूरती पर धब्बा लग रहा था, बल्कि यह सीसीएमपी के आड़े भी आ रहा था। इसके बाद एमसीडी ने इन वेंडरों को यहां से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था। उन्होंने बताया कि एमसीडी की परमीशन के बाद हमने यहां करीब तीन महीने पहले काम शुरू कर दिया था। लगभग 80 फीसदी काम हो भी गया था, लेकिन एमसीडी ने अचानक इसे अपनी जमीन बताकर हमारा काम रुकवा दिया। उनका कहना है कि इस बारे में एमसीडी से बात की जा रही है और हमें पॉजिटिव रिजल्ट मिलने की उम्मीद है। एमसीडी के प्रवक्ता दीप माथुर ने माना है कि एएसआई को यहां काम करने से रोका गया है। उनका कहना है कि हमारे कुछ अधिकारियों के संज्ञान में यह बात आई थी कि एमसीडी की इजाजत के बिना यहां काम किया जा रहा है। इसी वजह से हमने काम रुकवाया।
सूत्रों का कहना है कि वेंडरों का वही पुराना ग्रुप फिर सक्रिय हो गया है और उसी के दबाव में काम रोका गया है। रोज हजारों लोग लाल किला देखने आते हैं और इसी वजह से यहां काफी भीड़ रहती थी। लाल किले की आड़ में इनका धंधा खूब चमक रहा था और नई जगह शिफ्ट होने से इनके धंधे में मंदी आ गई है। अब ये लोग अपनी वही जगह फिर से चाहते हैं और इसके लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं।
बाउंड्री वॉल का काम रुकने के बाद अब इस एरिया पर फिर से अवैध कब्जा होता जा रहा है। बाउंड्री के बिल्कुल पास ही कूड़ा पड़ा रहता है। लोगों ने नई दीवार को ही टॉयलेट की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। सोसायटी फॉर कल्चरल हेरिटेज के सदस्य संजय भार्गव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इस सड़क पर कोई तहबाजारी नहीं की जा सकती और अगर विशेष तौर पर अनुमति दी भी जाती है, तो पहले फुटपाथ के लिए पांच फुट जमीन छोड़नी पड़ेगी। इसका मतलब यह हुआ कि यहां लगने वाली सारी दुकानें अवैध हैं। उनका कहना है कि अगर हालत में कोई सुधार नहीं आया, तो लाल किले को मिले वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी खतरे में पड़ सकता है।
लाल किले की खूबसूरती में चार-चांद लगाने की कोशिश कर रहे आर्कियॉलजिक सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की कोशिशों को गहरा झटका लगा है। एमसीडी ने लाल किले की बाउंड्री वॉल बनाने और फेन्सिंग के काम को रोक दिया है। इससे यह जगह फिर गंदगी और अतिक्रमण का शिकार होती जा रही है। हेरिटेज एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर लाल किले के सामने इसी तरह की बदहाली रहती है, तो उसका वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी खतरे में पड़ सकता है।
असल में एएसआई ने लाल किले के वर्ल्ड हेरिटेज साइट के दजेर् को ध्यान में रखते हुए एक कॉम्प्रिहेंसिव कंजर्वेशन मैनेजमेंट प्लान (सीसीएमपी) तैयार किया था। इसके तहत इस मुगल कालीन ऐतिहासिक धरोहर के बाहर बाउंड्री वॉल बनाने के अलावा इस इलाके के सौंदर्यीकरण की भी योजना थी। पहले यहां बसों की टिकट बेचने के लिए करीब 14 कियोस्क लगे हुए थे। इसी फुटपाथ पर दुकानें भी लगाई जाती थीं। एएसआई ने इन कियोस्क को हटाने और अतिक्रमण खत्म करने के लिए एमसीडी को पत्र लिखा था। एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ये कियोस्क और इनके आसपास फैली गंदगी से न सिर्फ लाल किले की खूबसूरती पर धब्बा लग रहा था, बल्कि यह सीसीएमपी के आड़े भी आ रहा था। इसके बाद एमसीडी ने इन वेंडरों को यहां से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था। उन्होंने बताया कि एमसीडी की परमीशन के बाद हमने यहां करीब तीन महीने पहले काम शुरू कर दिया था। लगभग 80 फीसदी काम हो भी गया था, लेकिन एमसीडी ने अचानक इसे अपनी जमीन बताकर हमारा काम रुकवा दिया। उनका कहना है कि इस बारे में एमसीडी से बात की जा रही है और हमें पॉजिटिव रिजल्ट मिलने की उम्मीद है। एमसीडी के प्रवक्ता दीप माथुर ने माना है कि एएसआई को यहां काम करने से रोका गया है। उनका कहना है कि हमारे कुछ अधिकारियों के संज्ञान में यह बात आई थी कि एमसीडी की इजाजत के बिना यहां काम किया जा रहा है। इसी वजह से हमने काम रुकवाया।
सूत्रों का कहना है कि वेंडरों का वही पुराना ग्रुप फिर सक्रिय हो गया है और उसी के दबाव में काम रोका गया है। रोज हजारों लोग लाल किला देखने आते हैं और इसी वजह से यहां काफी भीड़ रहती थी। लाल किले की आड़ में इनका धंधा खूब चमक रहा था और नई जगह शिफ्ट होने से इनके धंधे में मंदी आ गई है। अब ये लोग अपनी वही जगह फिर से चाहते हैं और इसके लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं।
बाउंड्री वॉल का काम रुकने के बाद अब इस एरिया पर फिर से अवैध कब्जा होता जा रहा है। बाउंड्री के बिल्कुल पास ही कूड़ा पड़ा रहता है। लोगों ने नई दीवार को ही टॉयलेट की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। सोसायटी फॉर कल्चरल हेरिटेज के सदस्य संजय भार्गव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इस सड़क पर कोई तहबाजारी नहीं की जा सकती और अगर विशेष तौर पर अनुमति दी भी जाती है, तो पहले फुटपाथ के लिए पांच फुट जमीन छोड़नी पड़ेगी। इसका मतलब यह हुआ कि यहां लगने वाली सारी दुकानें अवैध हैं। उनका कहना है कि अगर हालत में कोई सुधार नहीं आया, तो लाल किले को मिले वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा भी खतरे में पड़ सकता है।
Monday, February 22, 2010
जंतर मंतर का ये हाल आजतक नहीं हुआ
रीतेश पुरोहित नई दिल्ली।। जब पूरी दुनिया गुरुवार से वर्ल्ड हेरिटेज वीक मना रही थी, उसी दौरान दिल्ली में करीब 250 साल पुराने जंतर-मंतर को नुकसान पहुंचाया जा रहा था। गुरुवार को किसानों की रैली में शामिल आए हजारों लोगों ने यहां लगे कुछ यंत्रों के ताले तोड़ दिए और पार्क को बुरी तरह गंदा कर दिया। इतना ही नहीं, यहां आए टूरिस्टों को भी परेशान किया। आर्कियेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कनॉट प्लेस के आसपास पहले भी कई रैलियां हुई हैं, लेकिन ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा। गुरुवार को जंतर-मंतर में मौजूद एक एएसआई अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को सुबह 6:30 बजे से ही जंतर मंतर में लोगों का आना शुरू हो गया था। शुरुआत में हमें इस बात की उम्मीद ही नहीं थी कि यहां हजारों लोग इकट्ठा हो जाएंगे, लेकिन 8 बजे के बाद यह संख्या बढ़ने लगी। इन लोगों ने पार्क में बैठकर शराब पी। यहां लगे डस्टबिन, टूरिस्टों के बैठने की कुर्सियां, दरवाजों और फ्लड लाइटों को तोड़ दिया। कुछ यंत्रों में लगे ताले और कांच तोड़ दिए, पौधों को उखाड़ दिया। यहां लगे एक पेड़ को काटकर जला भी दिया। इतना ही नहीं, जंतर-मंतर परिसर में टॉयलेट भी की। उन्होंने बताया कि दिन में कुछ विदेशी और भारतीय टूरिस्ट भी यहां घूमने के लिए आए थे। इन लोगों ने उन पर भी भद्दे कॉमेंट किए और छेड़छाड़ भी की। एएसआई के सूत्रों का कहना है कि पहले तो हम लोगों ने ही इनसे इस तरह की हरकतें न करने की अपील की, लेकिन उन्होंने हमारी बात सुनने के बजाय हमें धमकाया। इसके बाद हमने पुलिस को फोन किया। दो-तीन पुलिसवाले आए। उन्होंने भी रैली में शामिल आए लोगों को पहले समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं माने तो चुपचाप वहां से चले गए। एएसआई सूत्रों का कहना है कि हमने इसके बाद पुलिस को दो-तीन बार और फोन लगाया, लेकिन कोई नहीं आया। शाम 4 बजे तक रैली में आए लोगों का उत्पात जारी रहा। इसके बाद बाहर जाने के लिए भी अपनी सहूलियत के लिए रैलिंग को तोड़कर बाहर गए। एएसआई अधिकारी का कहना है कि जहां-जहां रैलिंग तोड़ी गई थी, वहां हमने शुक्रवार को तार लगाकर टेंपरेरी इंतजाम किया है। अब पूरे परिसर में सुधार के लिए कई दिन लग जाएंगे। एएसआई के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट आर्केलॉजिस्ट ए. के. पांडे ने इस घटना को बेहद शर्मनाक और अशोभनीय बताया है। उनका कहना है कि देश के लोगों को अपनी राष्ट्रीय धरोहर की रक्षा करना चाहिए। इस तरह की हरकतों से पूरे देश का नाम बदनाम होता है। एएसआई के एक अन्य अधिकारी का कहना है कि हमने गुरुवार शाम को कनॉट प्लेस थाने में इस बारे में शिकायत दर्ज करा दी है। हालांकि पुलिस ने इस बात से इनकार किया है। पुलिस का कहना है कि हमें न तो ऐसी कोई शिकायत मिली है और न ही कोई एफआईआर दर्ज की गई है। पूरे विश्व में 19-25 नवंबर तक वर्ल्ड हेरिटेज वीक मनाया जाता है। एएसआई ने गुरुवार को ही लालकिले में लोगों को ऐतिहासिक इमारतों के प्रति जागरूक बनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया था।
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