Tuesday, June 29, 2010

दही से चुस्त तंदुरुस्त होती हेरिटेज इमारत

रीतेश पुरोहित


नई दिल्ली ॥ खाने को जायकेदार बनाने वाला दही वैसे तो हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह किसी बिल्डिंग को मजबूत बनाने और बेहतर फिनिशिंग देने के काम में भी आता है। दिल्ली के लोदी गार्डन में मौजूद एक ऐतिहासिक मस्जिद में दही का इस्तेमाल कर सैकड़ों साल पुरानी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए कारीगरों को राजस्थान के अलवर से विशेष तौर पर बुलाया गया है।




लोदी गार्डन जैसे दर्शनीय स्थल पर होने के बावजूद यह ऐतिहासिक मस्जिद दशकों से उपेक्षा का शिकार थी। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे इंटैक के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पहले यह मॉन्यूमेंट बदतर स्थिति में था। आसपास के पेड़ों ने इसे अपने आगोश में ले लिया था और देखरेख न होने से इसकी हालत लगातार खराब होती जा रही थी। जब हमने इस पर चढ़ी गंदगी को हटाना शुरू किया, तो इस पर एक टी स्टॉल का नाम लिखा मिला। पता चला कि यहां करीब 20-25 सल पहले चाय की दुकान चला करती थी। बाद में और साफ किया तो पता चला कि इस मॉन्यूमेंट की पूरी दीवार कत्थई रंग की है। इंटैक के लिए काम कर रहे आर्ट कन्जर्वेशनिस्ट मणि कंडन ने बताया कि यह एक यूनीक कलर था और दिल्ली में आज तक किसी और मॉन्यूमेंट पर इस तरह का कलर देखने को नहीं मिला।



यह भी पता चला कि इसकी दीवारों पर अराइश तकनीक और फ्रेस्को स्टाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस तकनीक से दीवारों पर इतनी पतली लेयर बन जाती है कि उसे स्पर्श करने पर लगता है, किसी संगमरमर को छू रहे हों। उन्होंने बताया कि आमतौर पर किसी भी मॉन्यूमेंट पर कन्जर्वेशन वर्क के लिए चूने को पानी में गलाया जाता है, लेकिन दीवार पर की गई अराइश तकनीक के इस्तेमाल के मद्देनजर चूने को दही में कम से कम छह महीने तक गलाना जरूरी होता है। पानी यह काम नहीं कर पाता। राजस्थान से आए कारीगर मोहम्मद अहमद खान के मुताबिक, चूना बहुत गर्म होता है और इसे बिल्कुल ठंडा करने के लिए दही में मिलाते हैं। इन दोनों के मिक्सचर को कई बार छाना जाता है और फिर मॉन्यूमेंट की दीवारों पर लगाया जाता है। उनका कहना है कि यह मिक्सचर बेहद पतला होने के कारण ही इतनी अच्छी फिनिशिंग दे पाता है। बसंत विहार में मौजूद बारा लाव के गुंबद पर भी इसी तकनीक का इस्तेमाल करके कन्जर्वेशन का काम किया जा रहा है।

कंडन के मुताबिक, दिल्ली में इतना स्पेशलाइज्ड काम करने वाले कारीगर नहीं मिल सकते। इस काम को करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत थी। इसी वजह से हमने राजस्थान के टोंक में मौजूद एक ऐतिहासिक मस्जिद में काम कर रहे कारीगरों को बुलाया था। कन्जर्वेशन के बाद यह मॉन्यूमेंट काफी मजबूत हो जाएगा और आने वाले कई दशकों तक तक पानी, धूल, मिट्टी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।



दिल्ली सरकार का आर्कियॉलजी डिपार्टमेंट कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर इंटैक के साथ मिलकर दिल्ली के 14 मॉन्यूमेंट्स के कन्जर्वेशन का काम कर रहा है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह स्मारक भी इसी लिस्ट में शामिल है और इस पर पहली बार कन्जर्वेशन का काम किया जा रहा है। उनके मुताबिक , हमने पिछले महीने ही यहां काम शुरू किया था और जल्द ही इसे पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत लोधी गार्डन में मौजूद दो अन्य मॉन्यूमेंट्स पर भी काम किया जा रहा है। खूबसूरत लोदी गार्डन में मुख्य तौर पर आठ ऐतिहासिक स्मारक हैं , जिनमें से 5 अन्य मॉन्यूमेंट्स आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास हैं।

अंग्रेजों के जमाने की बिल्डिंग हुई डैमेज

रीतेश पुरोहित


नई दिल्ली।। वैसे तो आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ( एएसआई ) कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर जगह - जगह कन्जर्वेशन का काम करवा रहा है , लेकिन लाल किले में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है , अंग्रेजों के जमाने में बनी गई एक बिल्डिंग के मद्देनजर इसे आसानी से समझा जा सकता है। यहां मौजूद तीन मंजिला बिल्डिंग की तीसरी मंजिल का एक हिस्सा टूट गया है। हालांकि एएसआई अधिकारियों का कहना है कि यह बहुत बड़ी बात नहीं है। इन कॉलोनियल बिल्डिंग्स में कन्जर्वेशन का काम किया जा रहा है और इस दौरान ऐसे छोटे - मोटे हादसे हो जाते हैं।
असल में देश की आजादी से पहले लाल किले में अंग्रेजों ने आठ बिल्डिंगों का निर्माण कराया। लाल किले के नौबत खाने के बाईं ओर चार तीन मंजिला इमारत स्थित हैं। इन्हें बी -1, बी -2, बी -3 और बी -4 नाम दिया गया है। एएसआई काफी समय से इन बिल्डिंगों में कन्जर्वेशन का काम कर रहा है। इन बिल्डिंग्स में म्यूजियम खोलने की प्लानिंग है। साथ ही लाल किले की मुगलकालीन इमारतों में चल रहे म्यूजियमों को भी इन बिल्डिंगों में शिफ्ट करने की योजना थी।
बी -1 और बी -2 में कन्जर्वेशन का काम पूरा हो चुका है और फिलहाल बी -3 और बी -4 में रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है। एएसआई सूत्रों का कहना है कि सोमवार रात बिल्डिंग बी -4 की तीसरी मंजिल का एक बड़ा हिस्सा नीचे गिर गया। इस फ्लोर पर मौजूद दो पिलर और तीन आर्च टूट गईं। इसका मलबा अब भी नीचे पड़ा है। हालांकि बिल्डिंग में अब भी कन्जर्वेशन का काम चल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि कन्जर्वेशन में बरती जा रही लापरवाही के कारण बिल्डिंग का यह हिस्सा टूटकर गिरा है। उनका कहना है कि ये बिल्डिंगें सौ साल से भी ज्यादा समय से यहां खड़ी हैं। इस दौरान इन्होंने न जाने कितने तूफान झेले , लेकिन कुछ नहीं हुआ , तो फिर कन्जर्वेशन वर्क के दौरान ही अचानक यह कैसे गिर गईं।
दूसरी बात यह है कि किसी और बिल्डिंग के साथ ऐसी घटना क्यों नहीं हुई। एएसआई सूत्रों का कहना है कि एएसआई के लिए इनका काफी महत्व है। डिपार्टमेंट लाल किले में ही मौजूद सेना के समय में बनी बैरकों को तोड़ने वाला है और अगर उसके लिए ये इमारतें महत्वपूर्ण नहीं होतीं , तो वह यहां कन्जर्वेशन का काम क्यों करवाता।
हालांकि एएसआई अधिकारी इस घटना को बड़ी बात नहीं मानते। एक अधिकारी का कहना है कि यह बहुत पुरानी बिल्डिंग थी और इसका एक पिलर कमजोर था। इसी वजह से यह टूट गया। उनका कहना है कि हम इन बिल्डिंगों में कन्जर्वेशन का काम करवा रहे हैं और काम के दौरान छोटी - मोटी घटनाएं होती रहती हैं। एक अन्य एएसआई अधिकारी का कहना है कि बाद में इस हिस्से को फिर से खड़ा कर दिया जाएगा।
दिल्ली में मौजूद 174 मॉन्यूमेंट्स एएसआई के संरक्षण में हैं और वह कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर इनमें से 46 स्मारकों पर कन्जर्वेशन का काम करवा रहा है।

Sunday, June 6, 2010

एक ड्रीम...चाहिए वर्ल्ड हेरिटेज सिटी

रीतेश पुरोहित


नई दिल्ली।। दिल्ली को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा किस तरह दिलाया जाए, इसके लिए रोडमैप तैयार कर लिया गया है। रविवार को वर्ल्ड हेरिटेज डे के मौके पर इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) ने घोषणा की कि इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और छह महीने बाद सिफारिशों को अमली जामा पहनाने के बाद इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। शाहजहांनाबाद और लुटियंस बैंग्लो के कन्जर्वेशन विषय पर इंटैक द्वारा आयोजित दो दिन चले सेमिनार के समापन के मौके पर यह ड्राफ्ट तैयार किया गया।

इंटैक के सूत्रों के मुताबिक, ड्राफ्ट में कहा गया है कि शाहजहांनाबाद और लुटियंस जोन एरिया को संरक्षित घोषित किया जाना चाहिए। दिल्ली में मौजूद हर मॉन्यूमेंट के लिए बाउंड्री और उनकी डिजाइन तैयार की जानी चाहिए। साथ ही दिल्ली में पुरानी बिल्डिंगों के अलावा जो अन्य हेरिटेज जैसे नदी, तालाब आदि को संरक्षित करने के लिए भी अलग से कैटिगरी बनाई जाए। दिल्ली के इतिहास के बारे में लोगों को बताने के लिए म्यूजियम बनाए जाएं और मॉन्यूमेंट्स और अन्य हेरिटेज के बारे में मौजूद सारा मटीरियल आम लोगों के लिए डिस्प्ले किया जाए।
यह भी कहा गया है कि दिल्ली कैंट और सिविल लाइंस एरिया में आने वाली हेरिटेज बिल्डिंगों की लिस्टिंग तैयार की जाए। दिल्ली में के गांवों में मौजूद मॉन्यूमेंट्स की पहचान करके उनका रेकॉर्ड तैयार किया जाए।
ड्राफ्ट में इंटैक की भूमिका बताते हुए कहा गया है कि वह दिल्ली को र्वल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के लिए शिक्षण संस्थानों और सरकारी डिपार्टमेंटों जैसे एएसआई, एमसीडी, एनडीएमसी, डीडीए, रेलवे आदि से सहयोग लेगा और उन पर एक प्रेशर गुप की तरह काम करेगा। सूत्रों का कहना है कि, इस मकसद को पूरा करने के लिए सरकारी डिपार्टमेंटों की मदद बहुत जरूरी है, क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि सरकारी डिपार्टमेंटों में आपसी खींचतान की वजह से मॉन्यूमेंट्स पर कंजवेर्शन का काम नहीं हो पाता।
इंटैक दिल्ली चेप्टर के संयोजक ए. जी. के. मेनन ने बताया कि दिल्ली को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने की कोशिश में हम काफी समय से लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली को यह स्टेटस दिलाना आसान काम नहीं है और हम इसके लिए पूरी प्लानिंग के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
इस कॉन्फ्रेंस के बाद हमने वर्ल्ड हेरिटेज स्टेटस के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। करीब छह महीने में सारी सिफारिशें तैयार कर लेंगे और इसके बाद इस बारे में केंद सरकार से बात करेंगे और हमें उम्मीद है कि हमें केंद की ओर से इस पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिलेगा।

मुगलों की आरामगाह अब जुआरियों का अड्डा

रीतेश पुरोहित


नई दिल्ली ।। किसी जमाने में गर्मियों के वक्त मुगल शासकों के आराम की जगह रहा जहाज महल आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है। किसी भी संरक्षित स्मारक के पास तहबाजारी नहीं की जा सकती, लेकिन इसके ठीक सामने मौजूद फुटपाथ पर कई सालों से बेरोकटोक दुकानें लग रही हैं। इन दुकानों के लिए सामान लाने वाले ट्रक भी स्मारक के अंदर खड़े होते हैं, जिससे यहां लगे लाल पत्थर टूट गए हैं। साथ ही, यह जुआरियों और असामाजिक तत्वों का डेरा बन गया है, जो यहां मौजूद (आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) एएसआई के कर्मचारियों को तक डराते-धमकाते हैं।

महरौली के मेन मार्केट से थोड़ा आगे निकलने पर दिखता है जहाज महल। ऐतिहासिक तालाब हौज-ए-शम्सी का पानी पहले इसे घेर लेता था। ऐसे में यह एक जहाज की तरह दिखता था, जिस पर इसका नाम जहाज महल पड़ा। अफगानिस्तान, ईरान, इराक समेत कई अन्य जगह से आने वाले विदेशी नागरिकों को भी यहीं ठहराया जाता था। गर्मियों के दौरान मुगल शासक अकबर शाह द्वितीय और बहादुर शाह जफर यहां आकर रुकते थे।
अब यहां साल में एक बार 'फूलवालों की सैर' उत्सव के दौरान ही रौनक होती है, जब अलग-अलग राज्यों के कलाकार यहां परफॉर्म करते हैं लेकिन साल के बाकी दिन यहां जुआरी और शराबी कब्जा जमाए रहते हैं। इन लोगों को प्रशासन का कोई डर नहीं है। इससे उलट ये लोग यहां मौजूद एएसआई के कर्मचारियों को डराते-धमकाते भी हैं।
जहाज महल की बाउंड्री से सटे फुटपाथ पर कई सालों से मसालों, सब्जियों की दुकान लगती हैं, जो कि गैरकानूनी हैं। 'फूलवालों की सैर' का आयोजन करने वाली कमिटी की अध्यक्ष ऊषा कुमार बताती हैं कि कई सालों से फुटपाथ पर लग रही इन दुकानों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका कहना है कि इन दुकान वालों के लिए सामान लाने वाले ट्रक जहाज महल परिसर में खड़े किए जाते हैं, जिससे लाल पत्थरों से बना फर्श पूरी तरह से टूट गया है। पहले तो 'फूलवालों की सैर' के दौरान इसे ठीक कर दिया जाता था, लेकिन अब इस ओर कोई ध्यान नहीं देता।
एएसआई अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में वह केवल संबंधित डिपार्टमेंट से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। जब यह दुकानें जहाज महल के पास लगना शुरू हुई थीं, तभी उसने एमसीडी के अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया।