

एएसआई ने कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर लोगों को दिल्ली की ऐतिहासिक विरासत दिखाने के लिए 46 स्मारकों को चुना है और वह इन जगहों पर संरक्षण का काम कर रहा है। महरौली के आर्कियॉलजिकल पार्क में मौजूद गुलाम वंश के शासक गयासुद्दीन बलबन के मकबरे का नाम भी इसमें शामिल है। हालांकि यहां इस मकबरे के अवशेष ही बचे हैं। सबसे पहले इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटैक) ने बलबन के मकबरे का संरक्षण किया था। इसके बाद एएसआई ने इसे अपने प्रोटेक्शन में ले लिया और यहां संरक्षण और मरम्मत का काम कराया। फिलहाल मकबरे के पूर्व में बलबन के बेटे खां शाहिद की एक कब्र मौजूद है।
एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कॉमनवेल्थ गेम्स को ध्यान में रखते हुए हमने करीब चार महीने पहले बलबन के इस मकबरे पर काम शुरू किया था। हमने यहां 3 फुट से लेकर 12 फुट तक खुदाई की और हमें स्ट्रक्चर मिलने शुरू हो गए। हमें यहां एक कब्र मिली है। यह लाल पत्थर से बनी हुई है और इससे जाहिर होता है कि ये कब्र 13वीं शताब्दी यानी बलबन काल की है, क्योंकि उसी काल में लाल पत्थर का इस्तेमाल किया जाता था। हो सकता है कि यह कब्र बलबन की हो। हमें यहां कुछ पिलर भी मिले हैं और इन्हें देखकर लगता है कि यहां राजा का दरबार लगा करता था। बाकी अवशेषों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। अब इनकी कार्बन डेटिंग की जाएगी, जिससे पता चल सकेगा कि ये अवशेष किस काल के हैं। यह भी पता चल सकता है कि यह कब्र किसकी है। अधिकारी का कहना है कि खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसके बाद कंजर्वेशन का काम करेंगे और फिर ब्यूटीफिकेशन और लाइटिंग का काम किया जाएगा।

7 comments:
i would like to visit the site. is it open to ordinary people
पुरातात्विक दृष्टी से तो यह अच्छी बात हुई ।
गुलमोहर का फूल
जानकारी के लिए धन्यवाद... एक अवसर अपने खोये इतिहास को समेटने का..
Bharat me na jane aisee sainkadon jagahen hongi jahatak insaan pahuncha nahi!
Apne behad achhee jaankari hasil kara dee..
apne jankariyon se bhara ye leekh likha iske liye dhanyawaad...
apke kam se juda hone ki vajah se ye dilchasp anubhav hoga....hamen apne anubhav ka sasthi banaye rakhiye,.........
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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is adbhut jankari dene ke liye shukriya,,,
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