Sunday, June 6, 2010

मुगलों की आरामगाह अब जुआरियों का अड्डा

रीतेश पुरोहित


नई दिल्ली ।। किसी जमाने में गर्मियों के वक्त मुगल शासकों के आराम की जगह रहा जहाज महल आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है। किसी भी संरक्षित स्मारक के पास तहबाजारी नहीं की जा सकती, लेकिन इसके ठीक सामने मौजूद फुटपाथ पर कई सालों से बेरोकटोक दुकानें लग रही हैं। इन दुकानों के लिए सामान लाने वाले ट्रक भी स्मारक के अंदर खड़े होते हैं, जिससे यहां लगे लाल पत्थर टूट गए हैं। साथ ही, यह जुआरियों और असामाजिक तत्वों का डेरा बन गया है, जो यहां मौजूद (आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) एएसआई के कर्मचारियों को तक डराते-धमकाते हैं।

महरौली के मेन मार्केट से थोड़ा आगे निकलने पर दिखता है जहाज महल। ऐतिहासिक तालाब हौज-ए-शम्सी का पानी पहले इसे घेर लेता था। ऐसे में यह एक जहाज की तरह दिखता था, जिस पर इसका नाम जहाज महल पड़ा। अफगानिस्तान, ईरान, इराक समेत कई अन्य जगह से आने वाले विदेशी नागरिकों को भी यहीं ठहराया जाता था। गर्मियों के दौरान मुगल शासक अकबर शाह द्वितीय और बहादुर शाह जफर यहां आकर रुकते थे।
अब यहां साल में एक बार 'फूलवालों की सैर' उत्सव के दौरान ही रौनक होती है, जब अलग-अलग राज्यों के कलाकार यहां परफॉर्म करते हैं लेकिन साल के बाकी दिन यहां जुआरी और शराबी कब्जा जमाए रहते हैं। इन लोगों को प्रशासन का कोई डर नहीं है। इससे उलट ये लोग यहां मौजूद एएसआई के कर्मचारियों को डराते-धमकाते भी हैं।
जहाज महल की बाउंड्री से सटे फुटपाथ पर कई सालों से मसालों, सब्जियों की दुकान लगती हैं, जो कि गैरकानूनी हैं। 'फूलवालों की सैर' का आयोजन करने वाली कमिटी की अध्यक्ष ऊषा कुमार बताती हैं कि कई सालों से फुटपाथ पर लग रही इन दुकानों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उनका कहना है कि इन दुकान वालों के लिए सामान लाने वाले ट्रक जहाज महल परिसर में खड़े किए जाते हैं, जिससे लाल पत्थरों से बना फर्श पूरी तरह से टूट गया है। पहले तो 'फूलवालों की सैर' के दौरान इसे ठीक कर दिया जाता था, लेकिन अब इस ओर कोई ध्यान नहीं देता।
एएसआई अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में वह केवल संबंधित डिपार्टमेंट से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कर सकते। जब यह दुकानें जहाज महल के पास लगना शुरू हुई थीं, तभी उसने एमसीडी के अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया।

No comments: