Monday, April 19, 2010

पार्क जमाली-कमाली : खूबसूरत और खाली

रीतेश पुरोहित।। कुतुब मीनार परिसर से करीब 100 मीटर दूर स्थित यह पार्क लगभग 200 एकड़ में फैला हुआ है और


यहां कुल 80 स्मारक हैं। वैसे यह जमाली कमाली पार्क के नाम से भी मशहूर है। अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य वाली इस जगह पर आकर आप इतिहास से सीधे रूबरू हो सकेंगे। इन स्मारकों के बीच आकर लगता है कि मानो हम अतीत के उस सुनहरे दौर में पहुंच गए हों। इन स्मारकों को देखने के बाद आप बिना इनकी तारीफ किए नहीं रह पाएंगे। माना कि यहां के स्मारक कुतुब मीनार की तरह नहीं हैं, लेकिन यह किसी से कम भी नहीं हैं।



करीब एक हजार साल की विरासत के गवाह इस स्थान पर काफी सालों पहले डीडीए और इंटैक (इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज) ने संरक्षण का काम शुरू किया था। यहां फूल मार्किट के पीछे जाने पर सबसे पहले मुगल काल का बना कुआं आपका स्वागत करेगा। इसके आगे गुलाबों की बहुत बड़ी और खूबसूरत बगिया है। इसके आगे दो और बहुत सुंदर बागीचे हैं। यहां बैठने के लिए कई बेंच लगी हुई हैं और स्टूल भी। यहीं से कुछ ऊंचाई पर मैटकॉफ की छतरी है। ईस्ट इंडिया कंपनी के समय में भारत के प्रशासक रहे चार्ल्स मैटकॉफ की यह छतरी ऊंचाई पर होने के कारण काफी सुंदर दिखाई देती है। इससे कुछ ही आगे जाने पर जमाली और कमाली का मकबरा है। जमाली उर्फ शेख फजलुल्लाह एक संत और कवि थे। इस मकबरे का निर्माण 1528-29 में शुरू हुआ था, लेकिन हुमायूं के शासन के दौरान पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। आगे जाने पर बलवन का मकबरा है, जो 16-17 शताब्दी में बना था। इनके अलावा अन्य स्मारकों में मैटकॉफ का ब्रिज और बोट हाउस, कुली खां का मकबरा, लोधी काल का गेटवे, मुगल काल के मकबरे, राजाओं की बावली प्रमुख हैं।



इस पार्क के बारे में दिल्ली के बहुत सारे लोगों को जानकारी नहीं है। इस वजह से यहां काफी कम ही लोग मौजूद होते हैं। हालांकि पार्क के पास सड़क है, लेकिन इसके काफी बड़ा होने से यहां कोई शोरशराबा नहीं होता। यह पार्क सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है। कोई एंट्री फीस नहीं है और कितनी ही देर तक बैठने पर भी कोई रोकटोक नहीं है। हालांकि खाने-पीने का सामान आपको कुतुबमीनार से ही लाना होगा, क्योंकि यहां आसपास कोई दुकान वाला नहीं है। यहां मौजूद कुछ स्मारकों के केवल अवशेष ही बचे हैं। यदि इस पूरे क्षेत्र का संरक्षण पहले हो चुका होता तो शायद यह जगह और भी खूबसूरत होती। बहरहाल, इस वैलंटाइंस और वीक एंड को कुछ खास बनाने के लिए यह एकदम सही जगह हो सकती है।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4127495.cms

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