Monday, April 19, 2010

हिस्ट्री और फ्यूचर के बीच लटकी पार्किन्ग

रीतेश पुरोहित


नई दिल्ली।। एएसआई के करीब 50 साल पुराने कानून को बदल कर सरकार ने कॉमनवेल्थ गेम्

स से जुड़े प्रोजेक्टों को फौरी राहत दे दी है। लेकिन बहादुरशाह जफर मार्ग पर अंडरग्राउंड मल्टिलेवल पार्किन्ग बनाने का एमसीडी का प्रोजेक्ट अब भी लटका है। आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) का कहना है कि पार्किन्ग की प्रस्तावित जगह को आर्कियॉलजी के नजरिए से इन्वेस्टिगेट करने की जरूरत है। एमसीडी को जीपीआर (ग्राउंड पेनिटरेटिंग रेडार) सवेर् करके बताना होगा कि साइट की जगह पर उस जमाने का कोई ऐतिहासिक स्ट्रक्चर तो मौजूद नहीं हैं।



कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़े प्रोजेक्टों को कानूनी अड़चनों से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में अध्यादेश लाकर 1958 के ऐक्ट में संशोधन किया था। पिछले साल दिसंबर में हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए एएसआई को आदेश दिया था कि किसी भी संरक्षित स्मारक के 100 मीटर के दायरे में हो रहे हर कंस्ट्रक्शन को तुरंत रोके। कोर्ट ने स्मारक के प्रतिबंधित दायरे में कंस्ट्रक्शन को अनुमति देने वाली एक्सपर्ट्स अडवाइजरी कमिटी को भी गैरकानूनी करार देते हुए भंग कर दिया था। इसके बाद एएसआई ने प्रतिबंधित दायरे में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स से संबंधित प्रोजेक्टों के अलावा 92 निर्माण कार्यों से संबंधित एजेंसी या व्यक्ति को नोटिस जारी कर तुरंत काम बंद करने को कहा था।



ऐसे में इन प्रोजेक्टों के पूरा होने पर खतरा मंडराने लगा था। सरकार ने अध्यादेश लाकर इसका हल ढूंढ लिया। इस अध्यादेश के तहत स्मारक के 100 मीटर के दायरे में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स के प्रोजेक्टों के लिए कानून में छूट दे दी गई है। हालांकि शहीदी पार्क के पास एमसीडी की प्रस्तावित पार्किन्ग को हरी झंडी नहीं मिल पाई। इसकी वजह यह है कि एएसआई ने इस पार्किन्ग के लिए कभी अपनी मंजूरी दी ही नहीं थी।



एएसआई के एक आला अधिकारी का कहना है कि शहीदी पार्क के पास ही फिरोजशाह कोटला का किला है। तुगलक वंश के शासक फिरोजशाह तुगलक ने इसका निर्माण किया था और इस किले के आसपास ही अपना शहर बसाया था। ऐसे में इस बात की संभावना है कि प्रस्तावित पार्किन्ग की जमीन के नीचे कई पुरातात्विक अवशेष हों। पार्किन्ग के निर्माण से ये अवशेष नष्ट हो सकते हैं। इसी वजह से हमने एमसीडी से कहा है कि वह इस जगह का जीपीआर सवेर् कराए। जीपीआर सर्वे के तहत सैटलाइट तरंगों को जमीन पर डाला जाता है। हमने एमसीडी से यह भी कहा है कि वह किले की बाउंड्री और शहीदी पार्क की बाउंड्री से संबंधित डिटेल प्लान तैयार करके दे। अगर एमसीडी ऐसा करती है, तभी इस प्रस्तावित पार्किन्ग पर विचार किया जाएगा। इस पूरे एरिया को भी आर्कियॉलजी के नजरिए से इन्वेस्टिगेट करने की जरूरत है। बहादुरशाह जफर मार्ग पर पार्किन्ग की भारी समस्या को देखते हुए एमसीडी ने शहीदी पार्क के पास अंडरग्राउंड पार्किन्ग बनाने की योजना बनाई थी।

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5525946.cms

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